सबसे महत्वपूर्ण और सबसे आम गणपति मंत्रों में से एक, यह धन के लिए गणेश मंत्र है, और यह भगवान गणेश, देवी ऋद्धि (समृद्धि की हिंदू देवी) और देवी सिद्धि (आध्यात्मिक ज्ञान की हिंदू देवी) को समर्पित है।
वक्रतुण्ड महा-काया सूर्य-कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देवा सर्व-कार्येषु सर्वदा ||
अर्थ :
वक्र – का अर्थ है जो सीधा नहीं है।
वक्रतुंड – का अर्थ है घुमावदार सूंड।
महाकाय – का अर्थ है बड़ा शरीर, अगर हम इसे अधिक दैवीय अर्थ में देखें तो इसका अर्थ है सबसे शक्तिशाली।
सूर्यकोटि – का अर्थ है ‘सूर्य’ या सूरज और कोटि का अर्थ है करोड़।
संप्रभा – का अर्थ है ‘प्रभा – आभा, भव्यता’, ‘सम- जैसा’।
सूर्यकोटि संप्रभा – का अर्थ है जिसकी आभा करोड़ों सूर्य के प्रकाश के समान है।
निर्वाग्नम – बाधा मुक्त।
कुरुमे – मुझे दो।
देवा – का अर्थ है भगवान।
सर्व – का अर्थ है सभी।
कार्येषु – काम।
सर्वदा – हमेशा।
पूर्ण अर्थ : “हे घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले जिनकी आभा करोड़ों सूर्य के प्रकाश के समान है, कृपया मेरे सम्पूर्ण कार्य को सदा के लिए बाधा मुक्त कर दीजिए।”
लाभ : इस मंत्र का जाप करने से भगवान गणेश का आह्वान होता है कि वे व्यक्ति के कल्याण के बीच आने वाली हर बाधा को दूर करें तथा धन, बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि और सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करने में मदद करें।